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Tuesday 1 August 2017

*83 आसान नेकियां* #14
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_3-ज़िकरुल्लाह करना_* #12

*_अज़ान देना_*
     अज़ान शआइरे इस्लाम में से है और अज़ान देने की बड़ी फ़ज़ीलत है। फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : मुअज़्ज़िन की आवाज़ की इन्तिहाई तक उस की मगफिरत कर दी जाती है, उस की आवाज़ जो खुशको तर चीज़ सुनती है उस की तस्दीक़ करती है और उसे अपने साथ नमाज़ पढ़ने वालो की मिष्ल षवाब मिलता है।

*_मोती के गुम्बद_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : में जन्नत में गया, उस में मोती के गुम्बद देखे उस की खाक मुश्क की है। पूछा ऐ जिब्राइल ! ये किस के वासिते है ? अर्ज़ की आप की उम्मत के मुअज़्ज़िनो और इमामो के लिये।
*✍🏼الخامع الصغير*
     आज कल अकषर मसाजिद में मुअज्ज़िन मुक़र्रर होते है वहा पर मुअज्ज़िन से अज़ान देने की इजाज़त मांग कर उसे आज़माइश में न डाला जाए अगर वो खुद पेशकश करे तो जुदा बात है, बहर हाल जो अज़ान दे सकता हो उसे चाहिये की जब जब मौक़ा मिले इस फ़ज़ीलत के हुसूल में कोताही न करे मषलन अगर कोई शख्स शहर के अन्दर घर में नमाज़ पढ़े तो वहा की मस्जिद की अज़ान उस के लिये काफी है मगर अज़ान कह लेना मुस्तहब है।
*✍🏼رد المحتار*
     इसी तरह अगर कोई शख्स शहर के बाहर या गाउ, बाग़ या खेत वगैरा में है और वो मस्जिद क़रीब न हो (यानि वहा अज़ान की आवाज़ न पहुचती हो) तो अज़ान पढ़नी है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼आसान नेकियां, 63*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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