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Sunday 20 August 2017

*सलाम की अहमिय्यत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : सलाम गुफ्तगू से पहले है।
*✍🏼جامع الترمذي*

     सलाम तीन किस्म के है "सलामे इज़्न" ये घर में दाखिल होने से पहले इजाज़ते दाखिला हासिल करने के लिये है। "सलामे तहिय्यत" ये घर में दाखिल होने और कलाम करने से पहले है। " सलामे वदाअ" ये घर से रुख्सत होते वक़्त है। इस हदिष में सलामे तहिय्यत मुराद है, ये कलाम से पहले करनी चाहिये ताकि तहिय्यत बाक़ी रहे जेसे तहिय्यातुल मस्जिद के नफ्ल की वो बैठने से पहले पढ़े जाएं।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/331*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 59*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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