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Thursday 24 August 2017

*कबीरा गुनाह किसे कहते हैं ?*
    بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     राजेह और मुदल्लाल क़ौल ये है की जो शख्स गुनाहों में से किसी ऐसे गुनाह का इर्तिकाब करे जिस का बदला दुन्या में हद है मसलन क़त्ल, ज़िना या चोरी करे या ऐसा गुनाह करे जिस के मुतअल्लिक़ आख़िरत में अज़ाब या ग़ज़बे इलाही की वईद हो या उस गुनाह के मूर्तक़िब पर हमारे नबी صلى الله عليه وسلم की ज़बान से लानत की गई हो तो वो कबीरा गुनाह है।
     इस बात को तस्लीम करने के बा वुजूद ये ज़रूर है की बाज़ कबीरा गुनाह दूसरे बाज़ कबीरा गुनाहों के मुक़ाबले में ज़्यादा बड़े है। क्या आप ने मुलाहज़ा नहीं फ़रमाया की नबीये करीम صلى الله عليه وسلم ने अल्लाह के साथ शिर्क करने को गुनाहे कबीरा में से शुमार फ़रमाया है हालाकिं इस का मूर्तक़िब हमेशा जहन्नम में रहेगा और उस की कभी बख़्शिश न होगी।

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _बेशक अल्लाह उसे नहीं बख्शता की कुफ़्र से निचे जो कुछ है जिसे चाहे मुआफ़ फरमा देता है।_
*✍🏼النساء ٤٨*

     और फ़रमाता है : _बेशक जो अल्लाह का शरीक ठहराए तो अल्लाह ने उस पर जन्नत हराम कर दी।_
*✍🏼الماىٔدة ٧٢*

     जब मुआमला ऐसा है तो इन मुख़्तलिफ़ अहादिष में ततबिक़ देना ज़रूरी है।
     हुज़ूर صلى الله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : क्या में तुम्हें सब से बड़े गुनाहों के बारे में खबर न दूँ ? ये बात आप ने 3 बार इर्शाद फ़रमाई। सहाबए किराम ने अर्ज़ किया क्यू नहीं ! इर्शाद फ़रमाया : अल्लाह के साथ शरीक ठहराना और वालिदैन की ना फ़रमानी करना। आप صلى الله عليه وسلم टेक लगा कर तशरीफ़ फरमा थे फिर सीधे हो कर बैठ गए और इर्शाद फ़रमाया : सुनो ! झूटी बात कहना (भी बड़ा गुनाह है)। आप इस कलिमे की तकरार फ़रमाते रहे हत्ता की हम ने (शफ़क़त के बाइस दिल में) कहा : काश ! आप सुकूत फरमाए।
*ये हदिष बुखारी व मुस्लिम दोनों में है*
     रसूले पाक ने झूटी बात और वालिदैन की ना फ़रमानी का सब से बड़े गुनाहों में से होना बयान फ़रमाया लेकिन सात हलाकत करने वाले गुनाहों में इन का ज़िक्र नहीं है (तो मालुम हुवा की गुज़श्ता हदिष में लफ्ज़ सात का ज़िक्र हस्र व हदबन्दी के लिये नहीं है)।
*76 कबीरा गुनाह, 18*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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