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Monday 21 August 2017

*कबीरा गुनाहों से बचने की बरकत*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : _अगर बचते रहो कबीरा गुनाहों से जिन की तुम्हें मुमानअत है तो तुम्हारे और गुनाह हम बख्श देंगे और तुम्हें इज़्ज़त की जगह दाखिल करेंगे।_
*✍🏼النساء ٣١*

    इस आयत में अल्लाह ने कबीरा गुनाहों से बचने वाले शख्स को जन्नत में दाखिल फरमाने का ज़िम्मा लिया है।

     और फ़रमाता है : _और वो जो बड़े बड़े गुनाहों और बे हयाईयों से बचते है और जब गुस्सा आए मुआफ़ कर देते है।_
*✍🏼الشورى ٣٧*

     इसी तरह फ़रमाता है : _वो जो बड़े गुनाहो और बे हयाईयों से बचते हैं मगर इतना की गुनाह के पास गए और रुक गए। बेशक तुम्हारे रब की मगफिरत वसीअ है।_
*✍🏼النجم ٣٢*

*_गुनाहों का कफ़्फ़ारा_*
     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : पाचों नमाज़ें और एक जुमुआ दूसरे जुमुआ तक दरमियान में होने वाले गुनाहों का कफ़्फ़ारा हैं जब तक गुनाहे कबीरा का इर्तिकाब न किया जाए।
*✍🏼مسلم*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह, 16*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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