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Monday 28 August 2017

*हया ईमान से है*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : हया ईमान से है।
*✍🏼صحيح مسلم*

     शर्मो हया ईमान का रुकने आला है। दुन्या वालों से हया दुन्यवी बुराइयों से रोक देती है। दीन वालों से हया दीनी बुराइयों से रोक देती है। अल्लाह रसूल से शर्मो हया तमाम बद अक़ीदगियों बद अमलियों से बचा लेती है। ईमान की इमारत इसी शर्मो हया पर क़ाइम है। दरख्ते ईमान की जड़ मोमिन के दिल में रहती है (जब कि) इस की शाखें जन्नत में है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 6/641*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 72*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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