*खुश खबरी सुनाओ*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
फरमाने मुस्तफा صلى الله عليه وسلم : खुश खबरी सुनाओ और लोगों को नफरत न दिलाओ।
*✍🏼صحيح البخاري*
यानी लोगों को गुज़श्ता गुनाहों से तौबा करने और नेक आमाल करने पर हक़ तआला की बख़्शिश व रहमत की खुश खबरियां दो। उन गुनाहों की पकड़ पर इस तरह न डराओ की उन्हें अल्लाह की रहमत से मायूसी हो कर इस्लाम से नफरत हो जाए। बहर हाल इन्ज़ार और डराना कुछ और है और मायूस कर के बद दिल कर देना कुछ और, लिहाज़ा ये हदिष उन आयात व अहादिश के खिलाफ नहीं जिन में अल्लाह की पकड़ से डराने का हुक्म है।
*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 5/371*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 57*
*___________________________________*
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*✍🏼मीरआतुल मनाजिह्, 5/371*
*✍🏼40 फरमाने मुस्तफा, 57*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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