*सलाम करने की सुन्नते और आदाब* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
सलाम करना हमारे प्यारे आक़ा ﷺ की बहुत ही प्यारी सुन्नत है। बाद किस्मती से आज कल ये सुन्नत भी खत्म होती नज़र आ रही है। इस्लामी भाई जब आपस में मिलते है तो السلام عليكم से इब्तिदा करने के बजाए "आदाब अर्ज़" "क्या हाल है ?" वगैरा वगैरा अजीबो गरीब कलीमात से इब्तिदा करते है, ये खिलाफ सुन्नत है। रुखसत होते वक़्त भी "खुदा हाफ़िज़" "गुड़ बाय" "टाटा" वगैरा कहने के बजाए सलाम करना चाहिये। हा रुखसत होते हुए السلام عليكم के बाद अगर खुदा हाफ़िज़ कह दे तो हरज नही। सलाम की चंद सुन्नते और आदाब मुलाहजा हो :
★ सलाम के बेहतरीन अलफ़ाज़ ये है *السلام عليكم و رحمه الله و بركاته* यानी तुम पर सलामती हो और अल्लाह की तरफ से रहमते और बरकतें नाज़िल हो।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 2/409*
★ सलाम करने वाले को उस से बेहतर जवाब देना चाहिये। अल्लाह इरशाद फ़रमाता है : और जब तुम्हे कोई किसी लफ्ज़ से सलाम करे तो तुम उस से बेहतर लफ्ज़ जवाब में कहो या वही कह दो। (पा. 5)
★ सलाम के जवाब के बेहतरीन अलफ़ाज़ ये है : *وعليكم السلام والرحمة الله و بركاته* यानी और तुम पर भी सलामती हो और अल्लाह की तरफ से रहमते और बरकतें नाज़िल हो।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 2/409*
*✍🏽सुन्नते और आदाब, 10*
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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सलाम करना हमारे प्यारे आक़ा ﷺ की बहुत ही प्यारी सुन्नत है। बाद किस्मती से आज कल ये सुन्नत भी खत्म होती नज़र आ रही है। इस्लामी भाई जब आपस में मिलते है तो السلام عليكم से इब्तिदा करने के बजाए "आदाब अर्ज़" "क्या हाल है ?" वगैरा वगैरा अजीबो गरीब कलीमात से इब्तिदा करते है, ये खिलाफ सुन्नत है। रुखसत होते वक़्त भी "खुदा हाफ़िज़" "गुड़ बाय" "टाटा" वगैरा कहने के बजाए सलाम करना चाहिये। हा रुखसत होते हुए السلام عليكم के बाद अगर खुदा हाफ़िज़ कह दे तो हरज नही। सलाम की चंद सुन्नते और आदाब मुलाहजा हो :
★ सलाम के बेहतरीन अलफ़ाज़ ये है *السلام عليكم و رحمه الله و بركاته* यानी तुम पर सलामती हो और अल्लाह की तरफ से रहमते और बरकतें नाज़िल हो।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 2/409*
★ सलाम करने वाले को उस से बेहतर जवाब देना चाहिये। अल्लाह इरशाद फ़रमाता है : और जब तुम्हे कोई किसी लफ्ज़ से सलाम करे तो तुम उस से बेहतर लफ्ज़ जवाब में कहो या वही कह दो। (पा. 5)
★ सलाम के जवाब के बेहतरीन अलफ़ाज़ ये है : *وعليكم السلام والرحمة الله و بركاته* यानी और तुम पर भी सलामती हो और अल्लाह की तरफ से रहमते और बरकतें नाज़िल हो।
*✍🏽फतावा रज़विय्या, 2/409*
*✍🏽सुन्नते और आदाब, 10*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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