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Sunday 2 April 2017

*रजब की बहारे* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_हुरमत वाले 4 महीने_* #01
     रजबुल मुरज्जब भी उन चार महीनो में से एक है, जिन की हुरमत व अज़मत का जिक्र क़ुरआने पाक में किया गया है। जैसा की सुरतुतौबा की आयत 36 में इन महीनो की हुरमत के मुतअल्लिक़ इरशाद होता है :
     बेशक महीनो की गिनती अल्लाह के नज़्दीक बारह महीने है अल्लाह की किताब में जब से उस ने आसमान व ज़मीन बनाए, उन में से चार हुरमत वाले है ये सीधा दीन है।
     मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस आयते करीमा के तहत इरशाद फरमाते है :(हुरमत वाले महीने चार है) तिन तो मिले हुवे यानि ज़ुल क़ादा, ज़ुल हिज्जा, मुहर्रम और एक अलाहिदा यानी रजब। ये चारो महीने इस्लाम से पहले ही मोहतरम माने जाते थे, इन का एहतिराम अब भी बाक़ी है कि इनमे इबादत की जावे, गुनाहो से बचा जावे।

     इससे मालुम हुआ की जब तमाम महीने, तमाम दिन, तमाम जमाअते, दर्जे में बराबर नहीं तो इंसान आपस में बराबर कैसे हो सकते है ?
*✍🏽नुरुल इरफ़ान, पारह 10*
*✍🏽रजब की बहारे, सफा 4*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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