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Wednesday 19 April 2017

*सहाबए किराम सरकार के मुक़द्दस हाथ पाउ चूमते थे*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते ज़राअ رضي الله عنه से रिवायत है, जब क़बीला अब्दील क़ैस का वफ्द सरकारे मदीना صلى الله عليه وسلم की खिदमत में हाज़िर हुवा, ये भी उस वक़्त वफ्द में शरीक थे। आप फरमाते है, जब हम अपनी मंज़िलों से मदीना शरीफ पहुचे तो जल्दी जल्दी सरकार صلى الله عليه وسلم की खिदमत में हाज़िर हुए और सरकार के दस्ते मुबारक और क़दम शरीफ को बोसा दिया।
*✍🏽सुनने अबी दाऊद, 4/456, हदिष:5225*

     हज़रते बाबा फ़रीदुद्दीन गन्जे शकर رحمة الله عليه फरमाते है : मशाइख व बुज़ुर्गाने दीन की दस्त बोसी यक़ीनन दीनो दुन्या की खैरो बरकत का बाइस बनती है।
     किसी ने एक बुज़ुर्ग को इंतिक़ाल के बाद ख्वाब में देखा तो उनसे पूछा, अल्लाह ने आप के साथ क्या सुलूक किया ? कहा, दुन्या का हर मुआमला अच्छा और बुरा मेरे सामने रख दिया और बात यहाँ तक पहुच गई की हुक्म हुवा, इसे दोज़ख में ले जाओ ! इस हुक्म पर अमल होने ही वाला था की फरमान हुवा, ठहरो ! एक दफा इसने जामेअ दिमिश्क़ में ख्वाजा शरीफ رحمة الله عليه के दस्ते मुबारक को चूमा था। उस दस्त बोसी की बरकत से हमने इसे मुआफ़ किया।
*✍🏽اسر ار اولیاء کو ہثت بہثت ص ۱۱۳*
     यानी अल्लाह की रहमत बहा यानि क़ीमत तलब नही करती, अल्लाह की रहमत तो बहाना ढूंढती है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏽सुन्नते और आदाब, 26*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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