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Sunday 9 April 2017

*रजब की बहारे* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_आओ गुनाहगारो ! मगफिरत मांग लो_*
     हज़रते अबू सईद رضي الله تعالي عنه बयान करते है कि रसूलल्लाह ﷺ ने इरशाद फरमाया : शैतान ने अल्लाह की बारगाह में कहा : ऐ मेरे रब ! मुझे तेरी इज्ज़तों जलाल की क़सम !  जब तक बन्दों के जिस्मो में रूह बाक़ी है, में उन्हें बहकाता तहुंग.
     अल्लाह तआला ने इरशाद फ़रमाया : मुझे अपनी इज्ज़तों जलाल की क़सम ! जब तक वो मुझसे मगफिरत मांगते रहेंगे में उन को मगफिरत करता रहूंगा.

     याद रखिये ! इस्तिग़फ़ार जहा गुनाहो से आलूदा दिल का मेल साफ़ करने का सबब है, वही एक बेहतरीन दुआ भी है और आसानी से नेकिया कमाने का ज़रीआ भी.
हदीश पाक में है की जो शख्स मुसलमान मर्दों और औरतो के लिए इस्तिग़फ़ार (मगफिरत की दुआ) करता है अल्लाह उसे हर मोमिन मर्द व औरत के बदले में एक नेकी अता फरमाता है. लिहाज़ा हमे चाहिये कि जब भी अपने लिये मगफिरत कि दुआ करे तो अपने इस्लामी भाइयो और इस्लामी बहनो को भी इस में ज़रूर शामिल करे.

     हज़रते अब्दुल्लाह बिन अब्बास رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की हुज़ूर ﷺ का फरमान है : जिसने इस्तिग़फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह उस की हर परेशानी दूर फरमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज़्क़ अता फरमाएगा जहा से उसे गुमान भी न होगा.
*✍🏽रजब की बहरे, स. 10-11*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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