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Sunday 16 April 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #180
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②③⑧_*
     निगहबानी करो सब नमाज़ों की (9) और बीच की नमाज़ की (10) और खड़े हो अल्लाह के हुज़ूर अदब से (11)

*तफ़सीर*
     (9) यानी पाँच वक़्त की फ़र्ज़ नमाज़ों को उनके औक़ात पर भरपूर संस्कारों और शर्तों के साथ अदा करते रहो. इसमें पाँचों नमाज़ों के फ़र्ज़ होने का बयान है. और औलाद और बीवी के मसाइल और अहकाम के बीच नमाज़ का ज़िक्र फ़रमाना इस नतीजे पर पहुंचाता है कि उनको नमाज़ की अदायगी से ग़ाफ़िल न होने दो और नमाज़ की पाबन्दी से दिल की सफ़ाई होती है, जिसके बिना मामलों के दुरूस्त होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती.
     (10) हज़रत इमाम अबू हनीफ़ा और अक्सरो बेशतर सहाबा का मज़हब यह है कि इससे अस्त्र की नमाज़ मुराद है. और हदीसों में भी प्रमाण मिलना है.
     (11) इससे नमाज़ के अन्दर क़याम का फ़र्ज़ होना साबित हुआ.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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