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Monday 27 November 2017

*बारगाहे खुदा वन्दी के आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     बन्दे को चाहिये की बारगाहे इलाही में अपनी निगाहे नीची रखे, अपने गमो और परेशानियों को अल्लाह की बारगाह में वेश करे, ख़ामोशी की आदत बनाए, आज़ा को पुर सुकून रखे, जिन कामो का हुक्म दिया गया है उन से और उन पर ऐतिराज़ करने से बचे, अच्छे अख़्लाक़ अपनाए, हर वक़्त ज़िक्रे इलाही की आदत बनाए, अपनी सोच को पाकीज़ा बनाए, आज़ा को क़ाबू में रखे, दिल पुर सुकून हो, अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की ताज़ीम बजा लाए, गैज़ो गज़ब न करे, महब्बते इलाही को लोगो से छुपाए, इख्लास अपना ने की कोशिश करे, लोगो के पास मौजूद मालो दौलत की तरफ नज़र करने से बचे, सहीह व दुरुस्त बात को तरजीह दे, मख्लूक़ से उम्मीद न रखे, अमल में इख्लास पैदा करे, सच बोले और गुनाहो से बचे।
     नेकियों को ज़िन्दा करे (यानी नेकियों पर अमल पैरा हो) लोगो की तरफ इशारे न करे और मुफीद बाते न छुपाए, नाम व नसब की तब्दीली पर गैरत और हराम कामो के इरतिकाब पर गैज़ो गज़ब का इज़हार करे, हमेशा बा वक़ार व पुर जलाल रहे, हया को अपना शिआर बना ले, खौफ व डर की कैफिय्यत पैदा करे, उस शख्स की तरह मुतमइन हो जाए जिसे ज़मान दी गई हो, तवक्कुल अच्छे इख़्तियार की पहचान का नाम है, दुश्वारी के वक़्त कामिल वुज़ू करे, एक नमाज़ के बाद दूसरी नमाज़ का इन्तिज़ार करे, उस का दिल फ़र्ज़ छूट जाने के खौफ से बेचैन व मुज़तरीब हो जाए, गुनाहों पर डटे रहने के खौफ से तौबा पर हमेशगी इख़्तियार करे और ग़ैब की तस्दीक़ करे, ज़िक्र करते वक़्त दिल में खौफे खुदा पैदा करे, वाजो नसीहत के वक़्त उस का नुरे बातिनी ज़्यादा हो, फ़क़रो फ़ाक़ा (तंगदस्ती) के वक़्त तवक्कुल को अपना शिआर बनाए और जहाँ तक हो सके क़बूलिय्यत की उम्मीद रखते हुए सदक़ा करे।

*✍🏼आदाबे दिन* 15
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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