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Thursday 30 November 2017

*उस्ताज़ के आदाब*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     उस्ताज़ को चाहिये दिल में खौफ़ो खशिय्यत पैदा करे, बात को ख़ामोशी और तवज्जोह से सुने और समझे, रहमत का मुन्तज़िर रहे, मु-तशाबह हरुफ़, वक़्फ़ के इशारे, इब्तिदा की पहचान, हम्ज़ा का बयान, तादादे अस्बाक़, हुरूफ़े तजविद् और खातिमाए किताब का फायदा वगैरा की तरफ खूब ध्यान दे।

     इब्तिदा में शागिर्द पर नरमी करे, जब तालिबे इल्म गैर हाज़िर हो तो उस के बारे में मालूमात करे और जब हाज़िर हो तो उसे तालीम हासिल करने पर इस की तरगिब् दिलाए। गपशप से इज्तिनाब करे और अपने लिये दुआ करने से पहले शागिर्द के लिये दुआ करे जब तक कि वो किसी दूसरे उस्ताज़ के पास न चला जाए।
*✍🏼आदाबे दीन* 17

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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