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Thursday 23 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 57*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_सहाबए किराम को बुरा भला कहना_*
     फरमाने मुस्तफा ﷺ : अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है जिस ने मेरे किसी वली से दुश्मनी की में उसे ऐलाने जंग देता हूँ।
*✍🏼مستدرك حاكم*
     मेरे सहाबा को बुरा भला मत कहो, उस ज़ात की क़सम जिस के क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है ! अगर तुम में से कोई उहुद पहाड़ जितना सोना खैरात करे तो उन के एक मुद (एक सेर) खैरात करने के बराबर बल्कि आधा मुद खैरात करने के बराबर नहीं हो सकता।
*✍🏼مسلم*
     हज़रते अल्क़मा رحمة الله عليه बयान करते है : में ने हज़रते अलियुल मुर्तज़ा كَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم को फ़रमाते सुना : मुझे ये खबर पहुची है कि लोग मुझे हज़रते अबू बक्र व उमर से अफ़्ज़ल क़रार देते है। जो शख्स ऐसी बात करेगा वो मुफ्तरी है और उस के लिये मुफ्तरी की हद है।

     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : और सब में अगले पहले मुहाजिर और अन्सार और जो भलाई के साथ इन के पैरु (पैरवी करने वाले) हुवे अल्लाह उन से राज़ी और वो अल्लाह से राज़ी।
*✍🏼التوبة ١٠٠*
     लिहाज़ा जो इन नुफुसे क़ुदसिय्या को बुरा भला कहे बिलाशुबा उस ने अल्लाह को जंग का चेलेंज दिया बल्कि इन हज़रात की शान तो अर्फअ व आला है अगर कोई आम मुसलमानो को गालिया दे, इज़ा पहुचाए और उन की तहक़ीर करे तो ये गुनाहे कबीरा में से है तो फिर उस शख्स के बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है जो रसूलुल्लाह ﷺ के बाद सब से अफ़्ज़ल शख्स को बुरा भला कहता हो।
*✍🏼76 कबीरा गुनाह*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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