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Thursday 30 November 2017

*गुनाहे कबीरा नंबर 65*
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*_नाहक़ झगड़ना, दूसरे को हक़ीर समझ कर उस के कलाम में तान करना, इन्तिहाई दुश्मनी रखना और हक़ जाने बिगैर क़ाज़ी का वकील बनना_*
     अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है : और बाज़ आदमी वो है कि दुन्या की ज़िन्दगी में उस की बात तुझे भली लगे और अपने दिल की बात पर अल्लाह को गवाह लाए और वो सब से बड़ा झगड़ालू है और जब पीठ फेरे तो ज़मीन में फसाद डालता फिरे।
*✍🏼البقرة : ٢٠٤,٢٠٥*
     उन्हों ने तुम से ये न कही मगर नाहक़ झगड़ने को बल्कि वो है ही झगड़ालू लोग।
*✍🏼الزخرف : ٥٨*

     फरमाने मुस्तफा ﷺ : अल्लाह को सब से ज़्यादा न पसन्द वो शख्स है जो बड़ा झगड़ालू है।
*✍🏼مسلم*
     जो शख्स बगैर इल्म के झगड़े व इख़्तिलाफ़ में पड़ता है वो अल्लाह की नाराज़ी में रहता है यहाँ तक कि उसे छोड़ दे।
*✍🏼موسوعة ابنابى الدنيا*
     मुझे अपनी उम्मत पर सब से ज़्यादा खौफ आलिम की कग्ज़िश, मुनाफ़िक़ के क़ुरआन में झगड़ने और दुन्या का है जो तुम्हारी गर्दनों को काट कर रख देगी।
*✍🏼معجم الكبير*
     जिसने बातिल की हिमायत में जान बुझ कर झगड़ा किया वो अल्लाह की नाराज़ी में रहेगा यहाँ तक कि उसे छोड़ दे।
*✍🏼ابوداود*
     हया और कमगोइ ईमान की दो शाखे है और फोहश गोई और ज़्यादा बोलना निफ़ाक़ की दो शाखे है।
*✍🏼ترمذى*
*✍🏼76 कबीरा गुनाह* 196

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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