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Monday 30 July 2018

*नापाकी की हालत में क़ुरआने पाक पढ़ने या छूने के मसाइल* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

     जिस पर गुस्ल फ़र्ज़ हो उसको मस्जिद में जाना, तवाफ़ करना, क़ुरआने पाक छूना, बे छुए ज़बानी पढ़ना, किसी आयत का लिखना, आयत का तावीज़ लिखना (लिखना उस सूरत में हराम है जिस में कागज़ का छूना पाया जाए, अगर कागज़ को न छुए तो लिखना जाइज़ है), ऐसा तावीज़ छूना, ऐसी अंगूठी छूना या पहनना जिस पर आयत या हुरूफ़े मुक़त्तआत लिखे हो हराम है.

     अगर क़ुरआने पाक जुज़दान में हो तो बे वुज़ू या बे गुस्ल जुज़्दान पर हाथ लगाने में हरज नहीं। 

     इसी तरह किसी ऐसे कपड़े या रुमाल वगैरा से क़ुरआने पाक पकड़ना जाइज़ है जो न अपने ताबे हो न क़ुरआने पाक के. कुर्ते की आस्तीन, दुपट्टे के आँचल से यहाँ तक की चादर का एक कोना इसके कंधे पर है तो चादर के दूसरे कोने से क़ुरआने पाक को छूना हराम है की ये सब चीज़े इस छूने वाले के ताबे है। 

     क़ुरआने पाक की आयत दुआ की निय्यत से या तबर्रुक के लिये मसलन बीसमील्ला-ही-र्रहमा-निर्रहीम या अदाए शुक्र के लिये अल्हम्दुलिल्लाह या किसी मुसलमान की मौत या किसी किस्म के नुकसान की खबर पर इन्नलिल्लाहि व-इन्न इलैहि राजिउन या सना की निय्यत से पूरी सूरतुल फातिहा या आयतुल कुर्सी या सूरतुल हशर की आखरी 3 आयते पढ़े और इन सब सूरतो में क़ुरआन पढ़ने की निय्यत न हो तो कोई हरज नहीं।

*✍🏼बहारे शरीअत, जी.1 स.326*

*✍🏼नमाज़ के अहकाम, सफा 98-99*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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