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Saturday 21 July 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-2, आयत, ①⑤*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     अल्लाह उनसे इस्तहज़ा फ़रमाता है (अपनी शान के मुताबिक़) और उन्हें ढील देता है कि अपनी सरकशी में भटकते रहें. 

*तफ़सीर*

     अल्लाह तआला इस्तहज़ा (हंसी करने और खिल्ली उड़ाने) और तमाम ऐबों और बुराइयों से पाक है. यहां हंसी करने के जवाब को इस्तहज़ा फ़रमाया गया ताकि ख़ूब दिल में बैठ जाए कि यह सज़ा उस न करने वाले काम की है. ऐसे मौके़ पर हंसी करने के जवाब को अस्ल क्रिया की तरह बयान करना फ़साहत का क़ानून है. जैसे बुराई का बदला बुराई. यानी जो बुराई करेगा उसे उसका बदला बुराई की सूरत में मिलेगा.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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