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Tuesday 24 July 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #200


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*हज़रत युसूफ عليه السلام ओर बुन्यामिन की तलाश के लिए बेटों को भेजना*

     जब याक़ूब عليه السلام ने बताया कि अल्लाह से जो में जनता हु तुम नहीं जानते हो तो इसके बाद बेटों से फ़रमाया जाओ युसूफ ओर उसके भाई को तलाश करो तीसरे का ज़िक्र नहीं किया हालाकिं यहूदा भी रह गया था इसलिये की उसका वहां रहना इख़्तेयारी था उसके वापस लाने में कोई मुश्किल नहीं थी लेकिन युसूफ का वहां रहना अल्लाह के हुक्म से था इसमें रब की मर्ज़ी का इंतज़ार था।

     इससे पहले आज तक युसूफ عليه السلام को तलाश करने के मुतअल्लिक़ बाप ने बेटों को नहीं कहा आज क्यों कहा? बुन्यामिन के मुतअल्लिक़ मालूम है कि वह अज़िज़े मिस्र के पास चोरी के इल्ज़ाम में गुलाम होने की हैसियत से पाबन्द है फिर यह कहने का क्या मतलब है? कि युसूफ को और उसके भाई को तलाश करो।

     पास बात एक ही है कि अल्लाह की तरफ से जो याक़ूब عليه السلام जानते थे वो ओर कोई नही जानता था अब आपको मालूम था कि इस मर्तबा बुन्यामिन के साथ यूसुफ का पता भी चल जायेगा, अल्लाह की तरफ से आज़माइश का वक़्त खत्म होने वाला ही है।

     आपने फ़रमाया अल्लाह की रहमत से सिर्फ काफ़िर ही ना उम्मीद होते हैं क्योंकि अल्लाह की रहमत से इंसान ना उम्मीद उस वक़्त होता है जब उसका अक़ीदा हो कि अल्लाह कमाल पर क़ादिर नहीं या वो ये समझे कि अल्लाह को तमाम चीज़ों का इल्म नहीं या वो ये खयाल करे कि अल्लाह करीम नहीं बल्कि बखिल है ये तमाम वजह काफिरो में ही पाई जाती है।

*✍तज़किरतुल अम्बिया* 162

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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