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Saturday 28 July 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #203


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*मिस्र से क़मीज़ की रवानगी और याक़ूब عليه السلام को खुशबू आना* #01

     युसूफ عليه السلام ने कहा ये मेरी क़मीज़ ले जाओ इसे मेरे वलीद के मुह पर डालो उनकी आंखें खुल जायेगी और अपने सब घरवालों को मेरे पास ले आओ। जब क़ाफ़िला मिस्र से जुदा हुआ वहां उनके वलीद ने कहा बेशक में युसूफ की खुशबू पाता हूँ अगर मुझे यह न कहो कि सीधी सोच से हट गया है।

     युसूफ عليه السلام को कैसे पता चला कि क़मीज़ को आंखों पर डालने से बाप की बिनाई वापस आ जायेगी? आपको वही के ज़रिये पता चला।

     वो क़मीज़ कोनसी थी? ये वो क़मीज़ थी जो इब्राहिम عليه السلام को आगमे पहनाई गई थी जो जन्नत से लाई गई थी, बाद में वो इस्हाक़ عليه السلام ओर याक़ूब عليه السلام के पास पहुंची। याक़ूब عليه السلام ने युसूफ عليه السلام को भाइयों के साथ भेजते वक़्त आपके गले मे बतौर तावीज़ डाली थी। अब जिब्राइल ने आकर आपसे फ़रमाया की यह क़मीज़ अपने वलीद की तरफ भेज दो ताकि उन्हें इसके ज़रिये नज़र वापस मिल जाये।

     युसूफ عليه السلام ने भाइयों को कहा कि तुम घरवालों को मेरे पास ले आओ, उस वक़्त याक़ूब عليه السلام के घर के अफ़राद जिन में मर्द, औरतें, बच्चे  सब मिलकर 72 या 66 तक थे (मुख्तलिफ अक़वाल मिलते हैं). यह तादाद बढ़ते बढ़ते जब बनी इस्राइल मूसा عليه السلام के साथ निकले तो सिर्फ जवान मर्दों की तादाद 6 लाख थी। बूढ़े, पर्द, औरतें और बच्चों के अलावा।

*✍तज़किरतुल अम्बिया* 165

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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