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Tuesday 17 July 2018

*नमाज़ में सुस्ती पर मुसीबतें*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रत इमाम ग़ज़ाली رحمة الله عليه फ़रमाते है कि जो नमाज़ में सुस्ती करता है अल्लाह उसे 15 मुसीबतों में मुब्तला कर देता है, उनमें से 5 दुन्या में, 3 मौत के वक़्त, 3 क़ब्र में, 3 क़ब्र से निकलते वक़्त होती है।
     *दुन्यवी मुसीबतें* :
(1) उम्र से बरकत छीन ली जाती है।
(2) उसके चेहरे से नेकों की निशानी मिट जाती है।
(3) उसके किसी भी अमल का अल्लाह षवाब नहीं देता।
(4) उसकी दुआ आसमान की तरफ बुलन्द नहीं होती (यानी क़ुबूल नहीं होती)
(5) नेकों की दुआओं में उसका कोई हिस्सा नहीं होता (यानी अगर नेक आदमी भी दुआ करे तो नमाज़ में सुस्ती करने वाले के हक़ में क़ुबूल नहीं होगी)
     *मौत के वक़्त की मुसीबतें* :
(1) वो ज़लील होकर मरेगा।
(2) भूखा मरेगा।
(3) प्यास मरेगा, अगर्चे उसे दुन्या के तमाम समन्दर का पानी पिला दिया जाए फिर भी उसकी प्यास नही बुझेगी।
     *क़ब्र की मुसीबतें* :
(1) क़ब्र तंग होगी यहाँ तक कि उसकी पसलियां रक दूसरे से मिल जाएंगी।
(2) क़ब्र में आग भड़काई जाएगी जिसके अंगारों पर वो रात दिन लोटता रहेगा।
(3) उसकी क़ब्र में एक अज़दहा मुक़र्रर कर दिया जाएगा वो कड़कदार बिजली जेसी आवाज़ में मैय्यत से बात करेगा और कहेगा कि मेरे रब ने मुझे हुक्म दिया है कि में तुझे नमाज़े बर्बाद करने के बदले सुबह से शाम तक डसता रहूँ। और जब वो अज़दहा मैय्यत को डसेगा तो वो 70 हाथ ज़मीन में घंस जाएगा फिर इसी तरह क़यामत तक उसको ये अज़ाब होता रहेगा।
     *क़ब्र से निकलते हुए हशर के मैदान मेझेलने वाली मुसीबते*
(1) सख्त हिसाब
(2) अल्लाह की नाराज़गी
(3) जहन्नम में दाखिला
     अल्लाह मुसलमानों को ऐसे भयानक अन्जाम से बचाए।
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 34
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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