Pages

Sunday 22 July 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-2, आयत, ①⑥*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ये वो लोग हैं जिन्होंने हिदायत के बदले गुमराही ख़रीदी(12) तो उनका सौदा कुछ नफ़ा न लाया और वो सौदे की राह जानते ही न थे(13)


*तफ़सीर*

     12. हिदायत के बदले गुमराही ख़रीदना यानी ईमान की जगह कुफ़्र अपनाना बहुत नुक़सान औरघाटे की बात है. यह आयत या उन लोगों के बारे में उतरी जो ईमान लाने के बाद काफ़िर हो गए, या यहूदियों के बारे में जो पहले से तो हुज़ूर सल्लल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम पर ईमान रखते थे मगर जब हुज़ूर तशरीफ़ ले आए तो इन्कार कर बैठे, या तमाम काफ़िरों के बारे में कि अल्लाह तआला ने उन्हें समझने वाली अक़्ल दी, सच्चाई के प्रमाण ज़ाहिर फ़रमाए, हिदायत की राहें खोलीं, मगर उन्होंने अक़्ल और इन्साफ़ से काम न लिया और गुमराही इख्तियार की. इस आयत से साबित हुआ कि ख़रीदों फ़रोख्त (क्रय विक्रय) के शब्द कहे बिना सिर्फ़ रज़ामन्दी से एक चीज़ के बदले दूसरी चीज़ लेना जायज़ है.

     13. क्योंकि अगर तिजारत का तरीक़ा जानते तो मूल पूंजी (हिदायत) न खो बैठते.

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●

*​DEEN-E-NABI ﷺ*

📲JOIN WHATSAPP

*(बहनो के लिये अलग ग्रुप)*

📱+91 95580 29197

📧facebook.com/deenenabi

📧Deen-e-nabi.blogspot.in

📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA

No comments:

Post a Comment