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Thursday 5 July 2018

*हुकूमते अमीरे मुआविया के बुनियादी उसूल* #02


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अहद की पासदारी*
     अहद ख्वाह अल्लाह के साथ हो या बन्दे के साथ, सब ही को पूरा करना लाज़िम है यही वजह है कि अमीरे मुआविया رضي الله عنه भी अहद का भरपूर लिहाज़ फरमाते, एक मर्तबा आपसे बाज़ कुफ़्फ़ार ने मुआहदा किया कि वो इतनी रक़म बतौरे जिज़्या अदा करेंगे लेकिन उन्होंने अहद की खिलाफ वर्ज़ी की इसके बा वुजूद आप رضي الله عنه ने उनकी जानिब पेश क़दमी नहीं फ़रमाई। जब आपकी बारगाह में इस बारे में अर्ज़ की गई तो आप ने इरशाद फ़रमाया: धोका का बदला धोके से देने से बेहतर है कि धोके का बदला अहद पूरा करके दिया जाए।

*شَعَاىِٔرُاللّٰه से महब्बत*
     वो तमाम चीजें जिन्हें किसी अल्लाह वाले से निस्बत हासिल हो उन की बरकतों में से सबसे बड़ी बरकत ये है कि इनसे दिलों को तक़वा हासिल होता है। अमीरे मुआविया رضي الله عنه भी अल्लाह के हबीब से निस्बत रखने वाली चीजों का अदब ओर हिफाज़त फ़रमाया करते नीज़ आखरी वक़्त में भी हुज़ूर ﷺ से निस्बत वाली चीजों को अपने साथ दफन करने की खुसूसी वसिय्यत फ़रमाई।

*मसाइल का इदराक ओर उन का हल*
     बिला सोचे समझे किसी मसअले को हल करने से काम बिगड़ जाता है। अमीरे मुआविया رضي الله عنه के लिये हुज़ूर ने हादी ओर महदी होने की दुआ फ़रमाई थी जिस की बरकत की झलक आपके फहमो फिरासत के ज़रिए हल किये जाने वाले मसाइल में भी नज़र आती है ओर आप की इसी ख़ुसूसिय्यत की वजह से फारुके आज़म رضي الله عنه भी आप के आला फहमो तदब्बुर के क़ाइल थे। अमीरे मुआविया رضي الله عنه की मुदब्बिराना सोच की बरकत से उठने वाले फ़ितनों की आग बुझी, फुतुहात का सिलसिला दोबारा शुरू हुवा ओर अम्नो अमान की सूरते हाल बेहतर हो गई जिस की वजह से तिजारत ओर नक़ल व हरकत में बहुत आसानी हुई और लोगों की मआशी हालत भी पहले से कई गुना ज़्यादा बेहतर हुई।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 105
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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