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Tuesday 3 July 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #178


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*युसूफ عليه السلام का क़ैदख़ाना की दुआ करना और इसका क़बूल होना*
     जब अज़िज़े मिस्र की ज़ौजा ने औरतों के सामने कहा कि अगर इसने मेरी बात न मानी तो इसे क़ैदख़ाना में जाना पड़ेगा और ज़लील होना पड़ेगा तो दावत पर बुलाई हुई तमाम औरतों ने युसूफ عليه السلام को समझाना शुरू किया कहने लगी तुम्हारे लिये यह बेहतर नहीं कि तुम इसके हुक्म की मुखालफत करो क्योंकि मुखालफत की सूरत में तुम्हें क़ैदख़ाने में जाना पड़ेगा और ज़िल्लत उठानी जोड़ेगी।
     अब आप عليه السلام को चंद मुश्किलात का सामना था। अज़ीज़ की ज़ौजा का बहुत ज़्यादा हसीन व जमील होना। उसका माल व दौलत का मालिक होना और यह अज़्म करना कि युसूफ से अपना मतलुब हासिल करने में तमाम माल व दौलत क़ुर्बान करना पड़ा तो कर दूंगी। तमाम औरतों ने आपको रग़बत भी दिला रही थी और साथ साथ खौफ भी दिला रही थी ऐसे हालात में औरतों का मकर भी बहुत बड़ा मकर होता है।
     आपको यह भी डर था कि उसकी मुखालफत करने में उसके शर से बचना बहुत मुश्किल है, हो सकता है कि वह आपको क़त्ल ही कर दे। इन हालात के पेशे नज़र आपने यही बेहतर समझा कि मुझे क़ैदख़ाने में भेज दे तो मेरे लिये बेहतर होगा।
     अज़िज़े मिस्र ओर दूसरे तमाम सरकर्दा लोग युसूफ عليه السلام की पाकदामनी का यक़ीन कर चुके थ्व। आप के उयूब से बरी होने और पाकदामनी पर दलालत करने वाले शवाहिदा लोग देख चुके थे। लेकिन आप को ज़ाहिरी मसलेहत के पेशे नज़र उन्होंने क़ैदख़ाने भेजने का फैसला किया था। क्योंकि अज़िज़े मिस्र की ज़ौजा के अलावा अब दूसरी औरतें भी आप पर आशिक़ हो चुकी थी घर घर युसूफ عليه السلام के हुस्न व जमाल का चर्चा हो रहा था वह लोग अपनी औरतों को रोकने में नाकाम हो गये अलबत्ता आप के क़ैदख़ाने में भेजने का उन्हें एक हल समझा था असल मे आपकी अपनी दुआ का असर ही था।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 140
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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