بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*बादशाह को ख्वाब आना*
रब का क़ानून कुदरत यह है कि जब किसी चीज़ का इरादा फरमाता है तो उसके लिये असबाब पैदा फरमाता है। युसूफ عليه السلام को भी जब क़ैद से निकालने का इरादा फ़रमाया तो इसका सबब यह पैदा फ़रमाया की मिस्र के बादशाह रियान ने ख्वाब देखा कि: 7 मोटी ताज़ी गायें एक खुश्क नहर से निकलीं ओर 7 ही लागर गाये, मोटी गाये को कहा गई। और उसने देखा कि 7 बालियां जो दानों से भरपूर ओर सब्ज़ है और सात दूसरी खुश्क को देखा जो सब्ज़ पर लिपट कर उन पर गालिब आ गई।
बादशाह ने अपने दरबारी, काहीनो, नजूमियों को जमा करके उनको ख्वाब की ताबीर पूछी उन्होंने कहा अगर ख्वाब में कोई तरतीब होती जो वाक़यात की निशानदही करती तो हम ताबीर बताते। यह ख्वाब तो बिला तरतीब है उनमें इख़्तेलात व इज़तेराब पाया गया है इसलिये यह परागंदा ख्यालात है इनकी ताबीर कुछ भी बयान नहीं हो सकती।
लेकिन बादशाह बहुत ज़्यादा परेशान था कि कमज़ोर का ताक़तवर पर गालिब आ जाना और खुश्क का सब्ज़ पर गालिब आ जाना यक़ीनन किसी खतरा की अलामत है।
बादशाह की परेशानी को देखकर उस साबिक़ कैदी को याद आया जिसे युसूफ عليه السلام ने फरमाया था कि तू नजात पायेगा। उसने कहा मुझे क़ैदख़ाने में भेजो। वहां एक आलिम शख्स है वह इस ख्वाब की ताबीर बयान करेगा तो में वापस आकर तुम्हे बता दूंगा। वह शख्स आप के पास आकर बादशाह के ख्वाब की ताबीर पूछने लगा।
मक़ामे नबी कितना बुलंद हैं? سبحان الله जब साइल ने ताबीर पूछी तो ये न कह की सात साल बाद मेरी कैसे याद आई? ओर यह भी न कहा कि पहले बादशाह को कहो कि मुझे बेगुनाह क़ैद में डाला हुआ है आखिर इसकी वजह क्या है? मुझे क़ैदख़ाने से निकालो तो ताबीर बताऊंगा?
नहीं नहीं साबिर शाकिर नबी ने कोई शर्त न लगाई और न ही उस शख्स को ताना दिया। बल्कि आप ने ताबीर बयान फ़रमाई....
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 143
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Wednesday 4 July 2018
*तज़किरतुल अम्बिया* #180
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