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Saturday 7 July 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #182


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*बादशाह का युसूफ عليه السلام को बुलाना ओर आपका इनकार*
     हज़रत युसूफ عليه السلام का सब्र देखिये! 12 साल क़ैद रहने के बावुजूद जब क़ैदख़ाने से निकलने का पैगाम मिलता है तो आप खुशी से जल्दी निकलने के बजाए इनकार करते हुए यह कहते हैं कि पहले मामला की छानबीन कर लें फिर में क़ैदख़ाने से बाहर आऊंगा। अगर आप जल्दी बाहर आ जाते तो एन मुमकिन था कि बादशाह के दिल मे इस तोहमत के हक़ होने का वस्वासा बाक़ी रहता। वाक़्या की हक़ीक़त के बाद बादशाह को यक़ीन हो गया, औरतों ने आपकी पाकदामनी का वाज़ेह एलाने फरमा दिया। अज़ीज़ की ज़ौजा जिसने अभी तक इक़बाले ज़ुर्म नहीं किया था अब वो भी अपनी गलती एतराफ़ करते हुए आपको पाक दामन ओर सच्चा कहने लगी। इस तरह बादशाह पर यह हक़ीक़त खुलकर सामने आ गई कि आप सच्चे है।
     बादशाह ने कहा उनको मेरे पास ले आओ ओर इसकी वजह यह थी की उसे जब मालूम हुआ कि आप बड़े साहबे इल्म है तो उसने कहा ऐसे साहबे इल्म क़ैद में रहे यह कैसे हो सकता है? उससे इल्म की फ़ज़ीलत हासिल हुई कि अल्लाह ने आपको इल्म को दुन्या में मसाइब से छुटकारा हासिल करने का ज़रिया बनाया तो यह कैसे हो सकता है? कि दीनी उलूम आखरत की मुश्किलात से छुटकारा दिलाने का जरिया बन सकें?
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 145
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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