بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
बेशक वो जिन की क़िसमत में कुफ्र है (10) उन्हें बराबर है चाहे तुम उन्हें डराओ या न डराओ वो ईमान लाने के नहीं.
*तफ़सीर*
(10) अल्लाह वालों के बाद, अल्लाह के दुश्मनों का बयान फ़रमाना हिदायत के लिये है कि इस मुक़ाबले से हर एक को अपने किरदार की हक़ीक़त और उसके नतीजों या परिणाम पर नज़र हो जाए.
यह आयत अबू जहल, अबू लहब वग़ैरह काफ़िरों के बारे में उतरी जो अल्लाह के इल्म के तहत ईमान से मेहरूम हैं, इसी लिये उनके बारे में अल्लाह तआला की मुख़ालिफ़त या दुश्मनी से डराना या न डराना दोनों बराबर हैं, उन्हें फ़ायदा न होगा. मगर हुज़ूर की कोशिश बेकार नहीं क्योंकि रसूल का काम सिर्फ़ सच्चाई का रास्ता दिखाना और अच्छाई की तरफ़ बुलाना है. कितने लोग सच्चाई को अपनाते है और कितने नहीं, यह रसूल की जवाबदारी नहीं है, अगर क़ौम हिदायत क़ुबूल न करे तब भी हिदायत देने वाले को हिदायत का पुण्य या सवाब मिलेगा ही.
इस आयत में हुज़ूर (अल्लाह के दुरूद व सलाम हो उनपर) की तसल्ली की बात है कि काफ़िरों के ईमान न लाने से आप दुखी न हों, आप की तबलीग़ या प्रचार की कोशिश पूरी है, इसका अच्छा बदला मिलेगा.
मेहरूम तो ये बदनसीब है जिन्होंने आपकी बात न मानी.
कुफ़्र के मानी : अल्लाह तआला की ज़ात या उसके एक होने या किसी के नबी होने या दीन की ज़रूरतों में से किसी एक का इन्कार करना या कोई एसा काम जो शरीअत से मुंह फेरने का सुबूत हो, कुफ्र है.
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•●
*DEEN-E-NABI ﷺ*
📲JOIN WHATSAPP
*(बहनो के लिये अलग ग्रुप)*
📱+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in
📧https://www.youtube.com/channel/UCuJJA1HaLBLMHS6Ia7GayiA
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, गर होजाये यक़ीन के.. अल्लाह सबसे बड़ा है..अल्लाह देख रहा है..
Pages
- Home
- अब्लाक़ घोड़े सुवार
- नमाज़ के अहकाम
- परदे की फरज़िय्यत
- बुग्ज़ व किना
- परदे की फरज़िय्यत
- मेराज के वाक़ीआत
- मुर्दे की बेबसी
- रमज़ान की बहारे
- अच्छे बुरे अ'मल
- आशिके अक्बर
- आसान नेकियां
- आक़ा का महीना
- वेलेन्टाइन डे क़ुरआनो हदिष की रौशनी में
- तौबा की रिवायत व हिक़ायत
- तर्के जमाअत की वईद
- रजब की बहारे
- हयाते गौसुल आलम महबूबे यजदानी सैयद सुल्तान मखदूम अ...
- गौसे पाक का बचपन
- गौषे पाक के हालात
- फातिहा और इसाले षवाब का तरीका
- बीमार आबिद
- बेनमाज़ी का अंजाम
- अश्को की बरसात
- अनमोल हिरे
- अल-हक़्क़ुल मुबीन
- सिरते मुस्तफा 1
- सिरते मुस्तफा 2
- बरकाते ज़कात
- बद गुमानी
- क़ब्र में आनेवाला दोस्त
- तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान
- मदनी पंजसुरह
- सवानहे कर्बला
- शाने खातुने जन्नत
- गुस्से का इलाज
- गफलत
- फुतूह अल ग़ैब
- फ़ारुके आज़म का इश्के रसूल
- फैज़ाने सिद्दिके अकबर
- फैज़ाने खादीजतुल कुब्रा
- फैज़ाने फ़ारुके आज़म
- फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा
- मिलाद शरीफ
- जायज़-नाजायज़ की कसौटी और 11वी शरीफ
- तज़किरए इमाम अहमद रज़ा
- प्यारी बाते
Thursday 12 July 2018
*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-1, आयत, ⑥*
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment