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Friday 13 July 2018

*मुहाफ़ज़ते यादगारे रसूल ﷺ* :


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
      सहाबए किराम रदिअल्लाहो तआला अन्हो के ज़माने में रसूलुल्लाह ﷺ की यादगारें महफूज़ थीं जिन को वोह जान से ज़ियादा अज़ीज़ रखते थे और उन से बरकत हासिल करते थे।
      हज़रत अली बिन हुसैन हुसैन रदिअल्लाहो तआला अन्हो का बयान है कि जब हम हज़रते इमाम हुसैन रदिअल्लाहो तआला अन्हो की शहादत के ज़माने में यज़ीद के दरबार से पलट कर मदिने में आए तो हज़रते मिस्वर बिन मख्रमा रदिअल्लाहो तआला अन्हो मिले और मुझ से कहा कि रसूलुल्लाह ﷺ की तलवार मुझे दे दो ऐसा न हो कि येह लोग इस को छीन लें। खुदा की कसम! अगर तुम ने मुझे येह तलवार दी तो जब तक जिस्म में जान बाकी है कोई शख्स इस की तरफ दस्त दराज़ी नहीं कर सकता।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 164
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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