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Friday 13 July 2018

*रहमतों की बरसात*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ
اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रत अहमद बिन अबुल हवारी رحمة الله عليه फ़रमाते है कि में हज़रत अबू सुलेमान दैरानी رحمة الله عليه के पास गया तो उन्हें रोते हुए पाया। में ने उनसे पूछा कि किस चीज़ ने आप को रुलाया? कहने लगे, जब रात की तारीकी अपनी चादर बिछा देती है तो अहले महब्बत नमाज़ में खड़े हो जाते है। उनके आंसू रूकू और सज्दे की हालत में उनके रुख़्सारों पर बह रहे होते है। फिर जब अल्लाह उन पर निगाहें करम करता है तो इर्शाद फ़रमाता है, ऐ जिब्राइल! मेरे सामने वो खड़ा है जिस ने मेरे कलाम से लज़्ज़त हासिल की और मुझ से मुनाजात की राहत पाई, बेशक में इस से बा खबर हूँ और इस के कलाम को सुन रहा हूँ और इसके रोने और आहो ज़ारी को देख रहा हूँ, ऐ जिब्राइल इस से कहो में ये तुम्हारा गम देख रहा हूँ, ये क्या है? क्या तुम्हें किसी ने खबर दी है कि कोई दोस्त अपने दोस्तों को आग का अज़ाब देता है या क्या में गवारा करूँगा कि में किसी क़ौम को रात गुज़ारने के लिये ठिकाना फरामह करूँ फिर उन्हें नींद की हालत में जहन्नम में डालने का हुक्म दूँ। ये काम तो किसी बदकार बन्दे के भी मुनासिब नहीं तो करीम बादशाह के लायक़ कैसे हो सकता है। मुझे अपनी इज़्ज़त की क़सम! कि में इन्हें ज़रूर एक तोहफा अता फरमाउंगा, वो इस तरह कि में इन पर नज़रे रहमत फरमाउंगा और वो मेरा दीदार करेंगे।
     हज़रत अबू सुलेमान दैरानी رحمة الله عليه फ़रमाते है कि में ने बाज़ आसमानी किताबों में पढ़ा कि अल्लाह इर्शाद फ़रमाता है, जो लोग मेरी खातिर तकालिफ् बर्दाश्त करते और मेरी रिज़ा की तलब में गमगीन रहते है वो मेरी हिफाज़त में है। वो मेरे कुर्ब और मेरी जन्नत के बागात में मज़े ले रहे है। अपने आमाल में हमातन गोश रहने वाले मुक़र्रब महबूब के दीदार की खुश खबरी सुन लें, क्या तुम ये समझते हो कि में इन के आमाल को ज़ाए कर दूंगा? में ये कैसे कर सकता हूँ हालांकि में दोस्तों पर जुदो करम करता और गुनाहगारों की तौबा क़बूल फ़रमाता हूँ और में इन पर सब से ज़्यादा रहम फरमाने वाला हूँ।
*✍आंसुओं का दरिया* 32
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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