بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*_ज़बह में कितनी रगे काटनी चाहिए?_*
हज़रते अल्लामा मौलाना मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : जो रगे ज़बह में काटी जाती है वो 4 है। हुल्कूमये वो है जिसमे सास आती जाती है, मुरी इस से खाना पीना उतरता है इन दोनों के अगल बगलऔर दो रगे है जिन में खून की रवानी है इन को वदजैन कहते है। ज़बह की 4 रगो में से तिनका कट जाना काफी है यानी इस सूरत में भी जानवर हलाल हो जाएगा की अक्सर के लिये वही हुक्म है जो कुल के लिये है और अगर चारो में से हर एक का अक्सर हिस्सा कट जाएगा जबभी हलाल हो जाएगा और अगर आधी आधी हर रग कट गई और आधी बाक़ी है तो हलाल नही।
*✍🏽बहारे शरीअत, 3/312*
*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 12*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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