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Saturday 11 August 2018

फिक्रे आख़िरत से गाफिल हो जाने वालों को तम्बीह*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ख़्वाबे गफलत से बेदार हो जाओ क्योंकि गफलत की नींद बहुत महंगी पड़ेगी और आख़िरत की तैयारी के लिये कमर बांध लो क्योंकि दुन्या तो एक मुसाफिर खाना है और मुसाफिर खाने में पहर को महज़ आराम किया जाता है।

     मनकुल है कि अल्लाह ने अपने किसी नबी عليه السلام की तरफ वही फ़रमाई कि "ए मेरे नबी! मेरे अहकाम की नाफरमानी और मुखालफत करने वालों और मेरे अहकाम की पैरवी करने और मेरा ज़िक्र करने वालों, मेरे दरवाज़े को लाज़िम पकड़ने वालों, मेरे काम मे सारी जन्दगी गुज़ार देने वालों और अपने रुखसार को मेरे दरवाज़े पर रगड़ने वालों में फर्क करो।"

     हाए गुनाहगारों की रुसवाई और हाए बातिल परस्तों की नदामत।

*✍आंसुओं का दरिया* 81

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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