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Friday 24 August 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #227


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*क़ौम ने सालेह عليه السلام से मोअजिज़ा तलब किया* #01

     क़ौमे आद के बाद अल्लाह ने क़ौमे समुद को आबाद किया उनको लंबी उम्रें अता की वो पहाड़ों में बड़ी महारत कारीगरी से तराश तराश कर घर बनाते। अल्लाह ने उन को खुशहाल बनाया, माली वुसअत अता की, तो उन्होंने अल्लाह की नाफरमानी शुरू कर दी और ज़मीन में फसाद बरपा शुरू कर दिया। तो अल्लाह ने उनकी तरफ सालेह عليه السلام को भेजा जो उनके क़बीला के अशरफ यानी सरदार क़बीला से थे। आपने क़ौम को डराया, क़ौम ने आप से निशानी तलब की।

     आपने फ़रमाया: तुम कौन सी निशानी तलब करते हो? क़ौम ने कहा तुम हमारे साथ हमारी ईद के प्रोग्रामों के लिये शहर से बाहर हमारे साथ चलना हम अपने मआबूदों से दुआ करेंगे तुम अपने मअबूद से दुआ करना जिसकी दुआ क़बूल हो गई दूसरे उसकी ताबेदारी करेंगे।

     आप عليه السلام उनके साथ तशरीफ़ ले गये उन्होंने अपने बुतो से दुआ की जो क़बूल न हो सकी, उनके एक सरदार जन्दा बिन अमर ने एक अकेली चट्टान की तरफ इशारा किया जिसका नाम काफिया था, उसने कहा इस चट्टान से एक ऊंटनी निकालो जो हामिला हो अगर तुमने ऐसा कर दिया तो हम तुम्हारी तस्दीक़ करेंगे। सालेह عليه السلام ने उन्हें कहा अगर में ऐसा करूँ तो क्या तुम ज़रूर ईमान लाओगे? कहा हां। तो आप ने नवाफिल अदा किये और रब से दुआ की अल्लाह ने आपकी दुआ को शरफे क़बूलिय्यत बख्शा।

     वो लोग देख रहे थे कि पहाड़ी चट्टान में बिल्कुल वही कैफियत पैदा हुई जिस तरह किसी जानवर पर पैदाइश के वक़्त होती है दर्द की वजह से कराहना। 


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 185

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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