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Wednesday 15 August 2018

क़ुरबानी की फ़ज़ीलत व मसाइल* #15


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*जानवर को भूका प्यासा ज़बह न करे*

     हज़रते मुफ़्ती अमजदअली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : क़ुरबानी से पहले उसे चारा पानी दे दे यानि भूका प्यासा ज़बह न करे और एक के सामने दूसरे को न ज़बह करे और पहले से छुरि तेज़ कर ले ऐसा न हो कि जानवर गिराने के बाद उस के सामने छुरी तेज़ की जाए।

*✍🏽बहरे शरीअत, 3/352*

    

     यहाँ एक अज़ीबो गरीब हिकायत मुलाहजा हो चुनांचे...

     हज़रते अबू ज़फ़र अलैरहमा फरमाते है : एक बार में ने ज़बह के लिये बकरी लिटाई इतने में मशहूर बुज़ुर्ग हज़रते अय्यूब सख्तियानी इधर आ निकले, में ने छुरी ज़मीन पर दाल दी और गुफ्त गु में मशगूल हुवा, दरीअस्ना बकरी ने दिवार की जड़ में अपने खुरो से एक गढ़ा खोदा और पाउ से छुरी उस में धकेलदी ओर उस पर मिटटी डाल दी ! हज़रते अय्यूब सख्तियानी फरमाने लगे : अरे देखो तो सही! बकरी ने ये क्या किया ! ये देख कर मेने पुख्ता अज़्म कर लिया कि अब कभी भी किसी जानवरको अपने हाथ से ज़बह नही करूँगा।

*✍🏽हयातुल हैवान, 2/61*


     ईस हिकायत से मआज़ल्लाह ये मुराद नही कि ज़बह करना कोई गलत काम है। बस इस तरह के वाक़ीआत बुज़ुर्गो के ग़लबए हालपर मब्नी होते है। वरना मसअला येही है कि अपने हाथ से ज़बह करना सुन्नत है।

*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 19*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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