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Wednesday 29 August 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #230


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*सालेह عليه السلام को शहीद करने का मंसूबा* #01

     रब ने फरमाया तीन से लेकर दस तक या सात से लेकर दस तक का गिरोह था। इस क़बीला के 9 सरदार थे उनके लड़के सालेह عليه السلام की मुखालफत में हमेशा सरगर्म रहा करते थे हर रईसजादा के साथ उसके मददगारों की भी एक टोली हुआ करती थी। इसलिये उन्हें तुसअतह रहत से ताबीर किया गया है यानी 9 क़बीले (अगरचे 9 शख्स थे)।

     जब उन्होंने ये देखा कि इज़ा रसानियों के बावजूद सालेह और उनके साथी बअज़ नही आये तो उन्होंने एक जगह बैठ कर साज़िश की कि रात को बे खबरी में सालेह और उसके साथियों पर हमला करके उन्हें तह तेग करदो, अगर उनके किसी वारिस ने हमसे दरयाफ्त किया तो हम उन्हें यक़ीन दिला देंगे कि हमारा उनके क़त्ल के साथ दूर का भी वास्ता नहीं और न ही हमें उनके क़त्ल का कोई इल्म है। तो वो खामोश हो जायेंगे।

     हो सकता है कि सालेह عليه السلام के वारिस कमज़ोर और गुरबा लोग हो तो उन्होंने ये खयाल किया हो कि उन्हें क्या मजाल होगी कि हमसे वो ज़्यादा तकरार करें? इस तरह वो खामोश हो जायेंगे। क़त्ल करने का मंसूबा बनाने वाले खुद तबाह व बर्बाद हो गये। سبحان الله अल्लाह की कुदरत के कारनामे अज़ीब है।


बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 187

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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