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Sunday 19 August 2018

*बारगाहे इलाही में हाज़री का अंदाज़*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     एक मर्तबा हज़रते ज़ुन्नुन मिस्री رحمة الله عليه वाअज फरमा रहे थे कि एक शख्स में अर्ज़ किया: हुज़ूर! जब भी में अपने रब की बारगाह में हाज़िर होता हूँ तो कोई न कोई मुसीबत या परेशानी मुझे घेर लेती है, में क्या करूँ? आपने फरमाया: अपने मौला के दर पर इस तरह हाज़िर हुवा करो जैसे छोटा बच्चा अपनी माँ के पास आता है कि उसकी माँ उसे मारे तो भी वो अपनी माँ ही कि तरफ लपकता है और जब भी वो उसे झिड़कती है वो उसी ले पास जाता है और बार बार ऐसा करता है यहां तक कि उसकी माँ प्यार से उसे अपने आप से चिमटा लेती है।

*✍️आंसुओं का दरिया* 113

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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