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Monday 20 August 2018

*सूरतुल बक़रह, रुकुअ-6, आयत, ④⑧*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

और डरो उस दिन से जिस दिन कोई जान दूसरे का बदला न हो सकेगी(2) और न क़ाफिर के लिये कोई सिफ़ारिश मानी जाए और न कुछ लेकर उसकी जान छोड़ी जाए और न उनकी मदद हो(3)


*तफ़सीर*

      (2) वह क़यामत का दिन है. आयत में नफ़्स दो बार आया है, पहले से मूमिन का नफ़्स, दूसरे से काफ़िर मुराद है. (मदारिक)

     (3) यहाँ से रूकू के आख़िर तक दस नेअमतों का बयान है जो इन बनी इस्राइल के बाप दादा को मिलीं.

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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