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Sunday 19 August 2018

क़ुरबानी की फ़ज़ीलत व मसाइल* #18


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_क़ुरबानी के गोश्त के 3 हिस्से_*

     क़ुरबानी का गोश्त खुदभी खा सकते है और दूसरे शख्स गनी या फ़क़ीर को दे सकता है खिला सकता है बल्कि इस मेंसे कुछ खा लेना क़ुरबानी करने वाले के लिये मुस्तहब है।

     बेहतर ये है कि गोश्तके 3 हिस्से करे, एक हिस्सा फ़ुक़रा के लिये और एक हिस्सा दोस्तों व अहबाब के लिये औरएक हिस्सा अपने घरवालो के लिये।

*✍🏽आलमगिरी, 5/300*

     अगर सारा गोश्त खुदही रख लिया तब भी कोई गुनाह नही। आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है : 3 हिस्से करना सिर्फइस्तिहबाबी अम्र है कुछ ज़रूरी नही, चाहे तो सब अपने इस्तिमाल में कर ले या सब अज़ीज़ोंकरिबो को दे दे, या सब मसाकिन को बाट दे।

*✍🏽फतावा रज़विय्या, 20/253*


*_वसिय्यत की क़ुरबानी का गोश्त का मसअला_*

     मन्नत या मर्हुम कीवसिय्यत पर की जाने वाली क़ुरबानी का सब गोश्त फ़ुक़रा और मसाकिन को सदक़ा करना वाजिब है,न खुद खाए न मालदारों को दे।

*✍🏽बहारे शरीअत, 3/345*

*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार, 23*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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