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Sunday 19 August 2018

*क़ुरबानी की फ़ज़ीलत व मसाइल* #19


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*_चंदे की रकम से इज्तिमाई क़ुरबानी के लिये गाए खरीदना_*


सुवाल :

मज़हबी या फलाही इदारे के चंदे की रक़म सेइज्तिमाई क़ुरबानी के लिये बेचने के वासिते गाए खरीदी जा सकती है या नही ?


जवाब :

चंदे की रक़म कारोबार में लगाना जाइज़ नही।इस के लिये चन्दा देने वाले से सराहतन यानी साफ़ लफ़्ज़ों में इजाज़त लेनी ज़रूरी है।

(जो इसकी इजाज़त दे सिर्फ उसी के चंदे की रक़म जाइज़ कारोबार में लगाई जा सकती है यु ही बिला इजाज़ते मालिक उसके दिये हुए चंदे की रक़म क़र्ज़ देने की भी इजाज़त नही)

*✍🏽अब्लाक़ घोड़े सुवार,24*

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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