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Thursday 9 August 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #214


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

*हज़रत हूद عليه السلام*

     हज़रत हूद عليه السلام आद क़बीला से है। इसी क़बीला को आद औला कहा गया है और आदे सानिया सालेह عليه السلام की क़ौम को कहा जाता है जो क़ौमे समुद के नाम से ज़्यादा मशहूर है। नूह عليه السلام की औलाद में से एक शख्स का नाम आद था उसकी तरफ मंसूब होने वाली क़ौम को आद कहा गया है।

     आद का नसब ये है : आद बिन औस बिन इरम बिन साम बिन नूह।

     हूद عليه السلام का नसब है: हूद बिन अब्दुल्लाह बिन रिबाह बिन खुलूद बिन आद है। इसी वजह से अल्लाह ने फ़रमाया: हमने क़ौम आद की तरफ उनके हम क़ौमे हूद को भेजा।

     यहां कई तर्जमा करने वालों ने अखाहिम का तर्जमा उनका भाई किया है। जो सरासर गलत है। पूरी क़ौम के अफ़राद आपके हक़ीक़ी भाई नहीं थे और अल्लाह का नबी कुफ़्फ़ार का दीनी भाई भी नहीं हो सकता। आप عليه السلام सिर्फ उनकी क़ौम के एक फर्द थे इसी वजह से आला हजरत इमाम अहमद रज़ा खां رحمة الله عليه ने तर्जमा हम क़ौम किया है। और यही अल्लामा राज़ी رحمة الله عليه की तहक़ीक़ है।

     हज़रत हूद عليه السلام को आद का हम क़ौम और सालेह عليه السلام को समुद का हम क़ौम कहकर कुफ्फारे मक्का का रद्द किया। जो यह कहते थे की मुहम्मद हमारी ही क़ौम से होकर नबी कैसे बन गये? रब ने फ़रमाया: क़ौम आद से हूद थे लेकिन उनके नबी थे, समुद की क़ौम से सालेह थे लेकिन उनके नबी थे।


*हूद عليه السلام की आमद व रफ्त*

     हूद عليه السلام नूह عليه السلام से 800 साल बाद तशरीफ़ लाए और 400 साल इस दुन्या में ज़ाहिरी हयात में रहे और फिर इस दुन्याए फानी से रहलत फ़रमाई और हयाते जाविदानी हासिल की।

*✍तज़किरतुल अम्बिया* 174

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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