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Saturday 18 August 2018

*तक़वा व मुजाहदा बाइसे नजात है*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     ऐ शख्श! कब तक इबादत गुज़ारों और ज़ाहिदों का लबादा ओढ़े रखेगा, हालांकि तू अपने दिल की गफलत को खूब जानता है। तेरा ज़ाहिर तो साफ सुथरा है मगर बातिन लम्बी उम्मीदों से आलूदा है। जिसे माल की महब्बत अपनी तरफ माइल कर ले वो खुदा की महब्बत के क़ाबिल न रहा।

     अगर मुजाहदा की मशक़्क़त न होती तो लोगों को "बा कमाल मर्द" का नाम न दिया जाता। ऐ मुर्दा दिल! अगर तू जवानी में नेकियों की तरफ माइल न हो सका तो उधेड़ पन ही में माइल हो जा, क्योंकि सर सफेद हो जाने के बाद खेलकूद बे सूद है और बुढ़ापे में सरकशी ज़्यादा बुरी है।

     जब तुझसे कहा जाएगा कि "तूने जवानी को गफलत में ज़ाए कर दिया और अब बुढ़ापे में नेक आमाल की कमी पर रोता है" अगर तू जान लेता की तेरे लिये कौन सा अज़ाब तैयार हो चुका है तो तू सारी रात रोने में गुज़ार देता।

*✍️आंसुओं का दरिया* 112

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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*​DEEN-E-NABI ﷺ*

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