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Friday 11 November 2016

*​गुस्से का इलाज*​ #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_किसी पर गुस्सा आए तो यूं इलाज करे_*
     गुस्से की तबाह कारियों को भी पेशे नज़र रखिये क्यूं कि गुस्सा ही अकसर दंगा फ़साद, दो भाइयों में इफ्तिराक, मियां बीवी में तलाक़, आपस में मुना-फ़रत और कत्लो ग़ारत का मूजिब होता है। जब किसी पर गुस्सा आए और मारधाड़ और तोडताड़ कर डालने को जी चाहे तो अपने आप को इस तरह समझाये : मुझे दुसरो पर अगर कुंछ कुदरत हासिल भी है तो उस से बेहद जियादा अल्लाह मुझ पर कादीर है अगर मै ने गुस्से मे किसी की दिल आजारी या हक़ त-लफ़ि कर डाली तो क़ियामत के रोज अल्लाह के गजब से मैं किस तरह महफूज़ रह सकुंगा ?

*_गुलाम ने देर कर दी_*
     शहन्शाहे ख़ैरुल अनामﷺ ने एक गुलाम को किसी काम के लिये तलब फ़रमाया, वोह देर से हाज़िर हुवा तो हुज़ूरे अन्वर, मदीने के ताजवरﷺ के दस्ते मुनव्वर में मिस्वाक थी फ़रमाया : "अगर क़ियामत में इन्तिकाम न लिया जाता तो मै तुझे इस मिस्वाक से मारता।"
     देखा आपने ! हमारे मीठे मीठे आक़ा, शहन्नसाहे ख़ैरुल अनामﷺ कभी भी अपने नफ़्स की खातिर इन्तिकाम नहीं लेते थे और एक आज कल का मुसल्मान है कि अगर नोकर किसी काम में कोताही कर दे तो गालियों की बौछाड़ बल्कि मारधाड़ पर उतर आता है।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 12*
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