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Sunday 6 November 2016

*फैज़ाने सिद्दीके अकबर* #07
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_​सिद्दीक़ लक़ब की वुजुहात_*​ #02
*ज़मानए जाहिलिय्यत से ही सिद्दीक़*
     आपرضي الله تعالي عنه को ज़मानए जाहिलिय्यत में लक़बे सिद्दीक़ से पुकारा जाता था क्यू की आप हर वक़्त सच बोलते थे। ज़ुहूरे इस्लाम से क़ब्ल आप का शुमार कुरैश के बड़े सरदारो में होता था, और आप लोगो की दिते भी अदा करते थे, यानी अगर कोई गलती से किसी को क़त्ल कर देते तो उस की तरफ से खून बहा खुद अदा कर देते थे, अगर वो गरीब होता तब भी कुरैश आप की बात को अहमिय्यत देते और दित क़ुबूल कर लेते और क़ातिल को छोड़ देते और अगर आप के इलावा कोई दूसरा दित की ज़िम्मेदारी लेता तो हरगिज़ क़बूल न करते, लोग आप की बात की तस्दीक़ करते थे, इस लिये आप ज़मानए जाहिलिय्यत में ही सिद्दीक़ के लक़ब से मशहूर थे।

*_तस्दीके मेराज के सबब सिद्दीक़_*
     हज़रते आइशा सिद्दीक़ाرضي الله تعالي عنها से रिवायत है, जब हुज़ूरﷺ को मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक़सा की सैर कराई गई तो आपﷺ ने दूसरी सुब्ह लोगो के सामने इस मुकम्मल वाक़ीए को बयान फ़रमाया, मुशरिकीन वगैरा दौड़ते हुए हज़रते अबू बक्रرضي الله تعالي عنه के पास पहुचे और कहने लगे : क्या आप इस बात की तस्दीक़ कर सकते है जो आप के दोस्त ने कहि है ? आपرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया क्या आपﷺ ने वाक़ई ये ब्यान फ़रमाया है ? उन्हों ने कहा जी हा। आपرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया अगर आपﷺ ने ये इरशाद फ़रमाया है तो यक़ीनन सच फ़रमाया है। और में उन की इस बात की बिला झिजक तस्दीक़ करता हु। उन्होंने कहा क्या आप इस हैरान कुन बात की तस्दीक़ करते है की वो आज रात बैतूल मक़दस गए और सुब्ह होने से पहले वापस भी आ गए ?
आपرضي الله تعالي عنه ने फ़रमाया : जी हा ! में तो आपﷺ की आसमानी खबरों की भी सुबहो शाम तस्दीक़ करता हु और यक़ीनन वो तो इस बात से भी ज़्यादा हैरान कुन और ताज्जुब वाली बात है। पस इस वाक़ीए के बाद आप सिद्दीक़ मशहूर हो गए।

*_सिद्दीक़ लक़ब आसमान से उतारा गया_*
     हज़रते अबू यहया हकीम बिन सादرضي الله تعالي عنه रिवायत करते है, मेने हज़रते अलिय्युल मुर्तज़ाكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم को अल्लाह की क़सम उठा कर कहते हुए सुना की अबू बक्र का लक़ब सिद्दीक़ आसमान से उतारा गया।

*_हर आसमान पर सिद्दीक़ लिखा था_*
     हज़रते अबू हुरैराرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, हुज़ूर ने फ़रमाया : शबे मेराज मेने हर आसमान पर अपना नाम यू लिखा हुवा देखा : मुहम्मद अल्लाह के रसूल है और अबू बक्र सिद्दीक़ मेरे खलीफा है।

*_जो आप को सिद्दीक़ न कहे..?_*
     हज़रते उर्वा बिन अब्दुल्लाहرضي الله تعالي عنه से रिवायत है, में हज़रते इमाम बाक़र अबू जाफर मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन की खिदमत में हाज़िर हुवा और उन से इस्तिफ़सार किया : तलवार को आरास्ता करने के बारे में आप क्या फरमाते है ? फ़रमाया : इसमें कोई हर्ज नही क्यू की खुद हज़रते अबू बक्र सिद्दीक़رضي الله تعالي عنه ने भी अपनी तलवार को आरास्ता किया। मेने कहा आप ने उन्हें सिद्दीक़ कहा ? ये सुनना था की आप जलाल फरमाते हुवे उठ खड़े हुवे और किब्ले की तरफ मुह कर के इरशाद फ़रमाया : हा वो सिद्दीक़ है, हा ! वो सिद्दीक़ है, हा! वो सिद्दीक़ है। और जो उन्हें सिद्दीक़ न कहे तो अल्लाह उस के क़ौल की तस्दीक़ नही फ़रमाता न दुन्या में और न ही आख़िरत में।
*✍🏽फैज़ाने सिद्दीके अकबर, 29*
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