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Monday 28 November 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #09
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वाक़ीअए इफ्क_* #03
     हज़रते बीबी आइशाرضي الله تعالي عنه मदीना पहुचते ही सख्त बीमार हो गई, पर्दा नशीन तो थी ही साहिबे फराश हो गई और उन्हें इस तोहमत तराशी की बिलकुल खबर ही नही हुई गो की हुज़ूरﷺ को हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنه की पाक दामनी का पूरा पूरा इल्म व यक़ीन था मगर चुकी अपनी बीबी का मुआमला था इस लिए आपﷺ ने अपनी तरफ से अपनी बीवी की बराअत और पाक दामनी का एलान करना मुनासिब नही समझा और वहीऐ इलाही का इंतज़ार फरमाने लगे।
     इस दरमियान आपﷺ अपने मुख्लिस असहाब से इस मुआमले में मशवरा फरमाते रहे ताकि इन लोगो के ख्यालात का पता चल सके। चुनांचे हज़रते उमरرضي الله تعالي عنه से जब आप ने इस तोहमत के बारे में गुफ्तगू फ़रमाई तो उन्हों ने अर्ज़ किया की या रसूलल्लाहﷺ ! ये मुनाफ़िक़ यक़ीनन झुटे है इस लिए की जब अल्लाह को ये गवारा नही की आप के जिस्मे अतहर पर एक मख्खी भी बैठ जाए क्यू की मख्खी नजासतो पर बैठती है तो भला जो औरत ऐसी बुराई की मूर्तक़िब हो खुदा कब और कैसे बर्दास्त फ़रमाएगा की वो आप की ज़ौजिय्यत में रह सके।

बाक़ी अगली पोस्ट में... ان شاء الله
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 313*
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