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Thursday 24 November 2016

*तज़किरए इमाम अहमद रज़ा* #15
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दरबारे रिसालत में इन्तिज़ार_*
     25 सफरुल मुज़फ्फर को बैतूल मुक़द्दस में एक शामी बुज़ुर्ग रहमतुल्लाह अलैह ने ख्वाब में अपने आप को दरबारे रिसालतﷺ में पाया। सहाबए किराम दरबार में हाज़िर थे। लेकिन मजलिस में सुकूत तारी था और ऐसा मालुम होता था के किसी आने वाले का इन्तिज़ार है, शामी बुज़ुर्ग ने बारगाहे रिसालतﷺ में अर्ज़ की : हुज़ूरﷺ ! मेरे माँ बाप आप पर कुर्बान हो किस का इंतज़ार है ? आपﷺ ने इरशाद फ़रमाया : हमे अहमद रज़ा का इंतज़ार है। शामी बुज़ुर्ग ने अर्ज़ की : हुज़ूरﷺ ! अहमद रज़ा कौन है ? इरशाद हुवा : हिन्दुस्तान में बरेली के बाशिंदे है।
     बेदारी के बाद वो शामी बुज़ुर्ग मौलाना अहमद रज़ा की तलाश में हिन्दुस्तान की तरफ चल पड़े और जब बरेली शरीफ आए तो उन्हें मालुम हुवा के इस आशिके रसूल का उसी रोज़ (यानी 25 सफरुल मुज़फ्फर 1340 ही.) को विसाल हो चूका है। जिस रोज़ उन्हों ने ख्वाब में सरकारे आली वक़ारﷺ को ये कहते सुना था "हमे अहमद रज़ा का इंतज़ार है"।
*✍🏽स्वानेहे इमाम अहमद रज़ा, 391*
*✍🏽तज़किरए इमाम अहमद रज़ा, 22*
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