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Monday 21 November 2016

*गुस्से का इलाज* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_मालिक बिन दिनार के सब्र के अन्वार_*
     हमारे बुज़ुर्गाने दिन ज़ुल्मो ज़ालिमिन और सितमे काफीरिन पर सब्र फरमाते और किस तरह गुस्से को भगाते थे इसे इस हिकायत से समझने की कोशिश कीजिये।
     चुनांचे हज़रते मालिक बिन दिनार रहमतुल्लाह अलैह ने एक मकान किराए पर लिया। उस मकान के बिलकुल मुत्तसिल एक यहूदी का मकान था। वो यहूदी बुग्ज़ो इनाद की बुन्याद पर परनाले के ज़रीए गन्दा पानी और गलाज़त आप के मकान में डालता रहता। मगर आप खामोश ही रहते। आखिर कार एक दिन उस ने खुद ही आ कर अर्ज़ की, जनाब ! मेरे परनाले से गुज़रने वाली नजासत की वजह से आप को कोई शिकायत तो नही ? आप ने निहायत ही नरमी के साथ फ़रमाया, परनाले से जो गन्दगी गिरती है उस को झाड़ू दे कर धो डालता हु। उसने कहा, आप को इतनी तकलीफ होने के बा वुजूद गुस्सा नही आता ? फ़रमाया : आता तो है मगर पी जाता हु क्यू की अल्लाह का फरमाने महब्बत निशान है :
*और गुस्सा पिने वाले और लोगो स3 दर गुज़र करने वाले और नेक लोग अल्लाह के महबूब है।*
*पारह 4, सूरए आले इमरान, 134*

जवाब सुन कर यहूदी मुसलमान हो गया।
*✍🏽तज़किरतुल औलिया, 51*

     मीठे मीठे इस्लामी भाईओ ! देखा आपने ! नरमी की केसी बरकत है। नरमी से मुअतस्सिर हो कर वो यहूदी मुसलमान हो गया।
*✍🏽गुस्से का इलाज, 19*
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