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Monday 7 November 2016

*​​फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा​​​​​* #08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_आइशा का मुखालिफ ओर अम्मार बिन यासिर_*
     एक शख्स हज़रते अम्मार बिन यासिर के पास आ कर हज़रते आइशा सिद्दीक़ाके बारे में ना मुनासिब गुफ्तगू करने लगा, तो आप ने फ़रमाया : ओ,मर्दुद और बद तरीन आदमी! निकल जा, क्या तू महबूबे रसूल की तकलीफ का सब बनता है ?
*✍🏽तिर्मिज़ी, 873*

     हज़रते अम्मार बिन यासिर का ये तर्ज़े अमल हम सब के लाइके तक़लीद है अगर हमारे सामने कोई शख्स किसी की बुराई करे, चुगली खाए तो उसे फौरन रोक दिया जाए और अगर वो किसी अल्लाह वाले का बद गो हो तो उसे अपने से फौरन दूर कर दिया जाए की हुस्ने अख़लाक़, हुस्ने ऐतिक़ाद और हुस्ने अक़ीदत का यही तक़ाज़ा है।
     अल्लाह ने पारह 7, सूरतुल अनआम की आयत 68 में इरशाद फ़रमाता है :
*और जो कहि तुजे शैतान भुलावे तो याद आए पर जालिमो के पास न बैठ।*
     हज़रते अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार खान अलैरहमा इस आयत की तफ़सीर में फरमाते है : इससे मालुम हुवा की बुरी सोहबत से बचना निहायत ज़रूरी है। बुरा यार बुरे साप से बदतर है की बुरा साप जान लेता है और बुरा यार ईमान बर्बाद करता है।
*✍🏽तफ़सीरे नुरुल इरफ़ान*
*✍🏽फैज़ाने आइशा सिद्दीक़ा, 23*
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