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Saturday 12 November 2016

*गुस्से का इलाज* #06
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पिटाई का कफ़्फ़ारा_*
     मुस्लिम शरीफ में है, हज़रते अबू मसऊद अंसारीرضي الله تعالي عنه फरमाते है : में अपने गुलाम की पिटाई कर रहा था की में ने अपने पीछे से आवाज़ सुनी, ऐ अबू मसऊद ! तुम्हे इल्म होना चाहिए की तुम इस पर जितनी क़ुदरत रखते हो अल्लाह इससे ज़्यादा तुम पर क़ुदरत रखता है। में ने पीछे मूड कर देखा तो वो रसूलुल्लाहﷺ थे। मेने अर्ज़ की : या रसूलल्लाहﷺ ! ये अल्लाह की रिज़ा के लिये आज़ाद है। हुज़ूरﷺ ने फ़रमाया : अगर तुम ये न करते तो तुम्हे दोज़ख की आग जलाती या फ़रमाया की तुम्हे दोज़ख की आग छूती।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 905*

*_दर गुज़र में आफिय्यत_*
     आप ने देखा ! हमारे सहाबए किराम अल्लाह व रसूल से किस क़दर प्यार करते थे। हज़रते अबू मसऊद अंसारीرضي الله تعالي عنه ने जू ही अपने आक़ा की नाराज़ी महसूस की फौरन न सिर्फ गुलाम की पिटाई से अपना हाथ रोक लिया बल्कि अपने इस कुसूर का ऐतिराफ करते हुए उस के कफ्फारे में गुलाम को आज़ाद कर दिया।
     आह ! आज लोग अपने ज़ेर दस्तो को बिला ज़रूरत झाड़ते, लताड़ते और उन पर दहाड़ते वक़्त इस बात की तरफ बिलकुल तवज्जोह नही देते की अल्लाह जो हम से ज़बर दस्त है वो हमारे ज़ुल्मो उदवान को देख रहा है। यक़ीनन अपने मा तहतो के साथ नरमी व हुस्ने सुलूक और अफ्वो दर गुज़र से काम लेने ही में आफिय्यत है।
*✍🏽गुस्से का इलाज, स.13*
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