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Saturday 19 November 2016

*गुस्से का इलाज* #10

*_गालियो भरे खतो पर आला हज़रत का सब्र_*
     काश ! हमारे अंदर ये जज़्बा पैदा हो जाए की हम अपनी ज़ात और अपने नफ़्स की खातिर गुस्सा करना ही छोड़ दें। जैसा की हमारे बुज़ुर्गो का जज़्बा होता था की उन पर कोई कितना ही ज़ुल्म करे ये हज़रात उस ज़ालिम पर भी शफ़क़त ही फरमाते थे।
     चुनांचे हयाते आला हज़रत में है, आला हज़रत अलैरहमा की खिदमत में एक बार जब डाक पेश की गई तो बाज़ खत गालियो से भरपूर थे। मोतकीदीन बरहम हुए की हम इन लोगो के खिलाफ मुक़द्दमा दायर करेंगे। आला हज़रत ने फ़रमाया : जो लोग तारीफि खत लिखते है पहले उन को जागीरें तक़सीम कर दो, फिर गालिया लिखने वालो पर मुक़द्दमा दायर कर दो।
*हयाते आला हज़रत, 1/143*

     मतलब ये की जब तारीफ़ करने वालो को तो इनाम देते नही फिर बुराई करने वालो से बदला क्यू लेना ?
*✍🏽गुस्से का इलाज, 17*
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