Pages

Sunday 13 November 2016

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #75
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑨②_*
और बेशक तुम्हारे पास मूसा खुली निशानियाँ लेकर तशरीफ़ लाये फिर तुमने उसके बाद (20)
बछड़े को माबूद (पूजनीय) बना लिया और तुम ज़ालिम थे (21)

*तफ़सीर*
     (20) यानी हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के तूर पर तशरीफ़ ले जाने के बाद.
     (21) इसमें भी उनकी तकज़ीब है कि हज़रत मूसा की लाठी और रौशन हथेली वग़ैरह खुली निशानियों के देखने के बाद बछड़ा न पूजते.

*_सूरतुल बक़रह, आयत ⑨③_*
और याद करो जब हमने तुमसे पैमान (वादा) लिया (22)
और तूर पर्वत को तुम्हारे सरों पर बलन्द किया, लो जो हम तुम्हें देते हैं ज़ोर से और सुनो. बोले हम ने सुना और न माना और उनके दिलों में बछड़ा रच रहा था उनके कुफ़्र के कारण. तुम फ़रमादो क्या बुरा हुक्म देता है तुमको तुम्हारा ईमान अगर ईमान रखते हो(23)

*तफ़सीर*
     (22) तौरात के आदेशों पर अमल करने का.
     (23) इसमें भी उनके ईमान के दावे को झुटलाया गया है.
___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 95580 29197
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment