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Wednesday 30 November 2016

*सिरते मुस्तफाﷺ*
*_दसवा बाब_* #10
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_वाक़ीअए इफ्क_* #04
     हज़रते उष्मान गनीرضي الله تعالي عنه ने कहा की या रसूलल्लाहﷺ ! जब अल्लाह ने आप के साए को ज़मीन पर नही पड़ने दिया ताकि उस पर किसी का पाउ न पड़ सके तो भला उस माबुदे बरहक़ की गैरत कब ये गवारा करेगी की कोई इंसान आप की ज़ौजए मोहतरम के साथ ऐसी क़बाहत का मूर्तक़िब हो सके ?
     हज़रते अलीكَرَّمَ اللّٰهُ تَعَالٰى وَجْهَهُ الْكَرِيْم ने ये गुज़ारिश की, की या रसूलल्लाहﷺ ! एक मर्तबा आप की नालैने अक़दस में नजासत लग गई थी तो अल्लाह ने हज़रते जिब्राईल को भेज कर आप को खबर दी की आप अपनी नालैन को उतार दे, इस लिये हज़रते बीबी आइशाرضي الله تعالي عنها अगर ऐसी होती तो ज़रूर अल्लाह आप पर वही नाज़िल फरमा देता की, आप इन को अपनी ज़ौजिय्यत से निकाल दे।
     हज़रते अबू अय्यूब अंसारीرضي الله تعالي عنه ने जब इस तोहमत की खबर सुनी तो उन्हों ने अपनी बीवी से कहा की ऐ बीवी ! तू सच बता ! अगर हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तलرضي الله تعالي عنه की जगह में होता तो क्या तू ये गुमान कर सकती है की में हुज़ूरे अक़दसﷺ की हरमे पाक के साथ ऐसा कर सकता था ? तो उनकी बीवी ने जवाब दिया की अगर हज़रते आइशाرضي الله تعالي عنها की जगह में रसूलुल्लाहﷺ की बीवी होती तो खुदा की क़सम ! में कभी ऐसी खियानत नही कर सकती थी तो फिर हज़रते आइशा जो मुझ से लाखो दर्जे बेहतर है और हज़रते सफ्वान बिन मुअत्तलرضي الله تعالي عنه जो बदर-जहा तुम से बेहतर है भला क्यू कर मुमकिन है की ये दोनों ऐसी खियानत कर सकते है ?

बाक़ी अगली पोस्ट में.. ان شاء الله
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 315*
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