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Monday 2 July 2018

*हुकूमते अमीरे मुआविया* #03


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*फारुके आज़म के नज़दीक मक़ामे अमीरे मुआविया*
     फारुके आज़म رضي الله عنه जिस किसी को भी गवर्नर मुक़र्रर फरमाते तो उसकी कारकर्दगी पर भरपूर नज़र रखते। अगर कोई गवर्नर उसूलों से इनहिराफ़ करता तो उसे माज़ूल फ़रमाया देते।
     अमीरे मुआविया رضي الله عنه को गवर्नरी का ओहदा फारुके आज़म ने सौंप था और आप अपनी बे पनाह खुदादाद सलाहिय्यत ओर गैर मामूली मक़बूलिय्यत की बिना पर अहदे फ़ारूक़ी में इस मन्सब पर फ़ाइज़ रह कर उमदगी के साथ खिदमत अंजाम देते रहे। अमीरे मुआविया का अहदे फ़ारूक़ी में इस मन्सब पर फ़ाइज़ रहना इस बात की दलील है कि आप मेयारे फ़ारूक़ी पर उतरने वाले बेहतरीन हाकिम ओर ज़बरदस्त मुन्तज़िम थे।
     जब फारुके आज़म मुल्के शाम तशरीफ़ ले गए तो अमीरे मुआविया ने आप का इस्तिक़बाल बहुत ही शानो शौकत के साथ किया। फारुके आज़म ने इस्तिक़बाल के लिये इतने बड़े लश्कर को देख कर (नाराज़ी फरमाते हुए) इतना एहतिमाम की वजह दरयाफ्त फरमाइये तो अमीरे मुआविया ने अर्ज़ की: या अमीरुल मुअमिनीन! हम जिस सरज़मीन में हैं यहां दुश्मनों के जासूस ब कसरत है इसी वजह से ये लाज़िम हुवा की हम उन को हैबत ज़दा करने के लिये बादशाह की इज़्ज़तो अज़मत का इज़हार करे, अगर आप हुक्म देंगे तो हम ये सिलसिला जारी रखेंगे, अगर आप रोकेंगे तो हम फौरन रुक जाएंगे, आप जो चाहे हुक्म इरशाद फ़रमाए।
     फारुके आज़म ने फरमाया: न तो हम कोई हुक्म दे रहे हैं और न ही ऐसा करने से रोक रहे हैं। आप का ये नर्म रवय्या देख कर एक शख्स ने अर्ज़ की: इस जवान (अमीरे मुआविया) ने कितनी खूब सुरती ओर दानिशमंदी से खुद को इस इल्ज़ाम से बरी कर लिया है। फारुके आज़म ने फरमाया इन्ही खूबियों ओर सलाहिय्यतों की बिना पर हम ने ये मन्सब इन्हें सौंपे है।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 102
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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